क्या गज़ब की गांड थी काम वाली की

बेंगलोर में मुझे तिन महीने हो चुके थे, antarvasna antarvassna Indian Sex Kamukta Chudai Hindi Sex यहाँ की सिलिकोन इंडस्ट्री में जॉब पा कर में धन्य हो चूका था क्यूंकि यहाँ मुझे पैसा, घर, गाडी और कामवाली तक कंपनी ने प्रोवाइड किया था. मुझे पता है की जब
मैंने कामवाली कहा तो आप के लंड में एक सनसनी दौड़ी, मुझे भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब मेरे मेनेजर ने उन्नति नामकी इस मल्लू कामवाली को मेरे घर पर पहेली बार भेजा था. इस मल्लू जवानी की उम्र कुछ 23 साल जितनी थी, बड़े मांसल स्तन,
सांवला रंग, गांड मस्त गोल मटोल थी और उसकी आवाज मुझे सब से अच्छी लगती थी. इसे हिंदी इतना अच्छा नहीं आता था लेकिन वह काम जितना हिंदी तो बोल लेती थी. एक रात को मैंने इस मल्लू कामवाली से चुदाई का प्लान कर लिया और आइये
आपको इस सेक्सी कामवाली की चुदाई का पूरा चितार दूँ……! मल्लू को पिगलाने के लिए चारा रखा उन्नति को आने में अभी 10-15 मिनिट के देर थी, वह शाम का खाना बनाने मेरे आने के बाद बनाती थी. मैं ऑफिस से जल्दी आ गया था और आते हुए
मैंने मेजेस्टिक से एक सेक्स फोटो की किताब खरीद ली थी. मैंने घर आके लुंगी पहन ली और इस किताब को किचन में फ्रिज के उपर रख दिया, अगले हफ्ते मेरी पत्नी शिला आए वाली थी और मैं इस मल्लू को अपने झांसे में उसके आने से पहेले
ही ले लेना चाहता था. वैसे भी मुझे काली लड़कियां जवानी से ही पसंद थी. उन्नति तभी अपने बड़े बड़े कूले हिलाते हुए आई, मैं द्रोइंग रूम में बेठा था और सामने के शीशे में मुझे किचन का कुछ द्रश्य नजर आ रहा था. मैं बस यह ताड़
में था की वह एक बार मैगज़ीन उठाये. उन्नति ने कीचन में जाके फ्रिज खोला लेकिन वह अंदर से गुंदा हुआ आटा लेकर प्लेटफोर्म की तरफ चली गई, मैंने सोचा की मछली ने काँटा नहीं खाया लेकिन तभी वह आटा रख के पलटी और उसने मैगज़ीन
हाथ में ली. मैं द्रोइंग रूम के शीशे में यह द्रश्य देख रहा था. उन्नति ने अपने चुंचे को दबाया और उसने मैगज़ीन वापस फ्रिज पर रख दी….लोहा गरम हो चूका था और लौड़ा भी. मैं तुरंत खडा हुआ और कीचन में जा पहुंचा. मुझे किचन में
आता देख उन्नति बोली, साब खाना दस मिनिट में बन जाएगा….! मैंने जैसे उसे सुना ही ना हो वैसे मैं किचन में घुसा और वहाँ पड़ा टमाटर खाने लगा. मुझे देख उन्नति बोली…आपको बोत बुख लगा है….! मैंने कहा, मैं तो कब से भूखा ही
हूँ. उन्नती की गांड से लंड अडाते ही वह भी बेबस हुई मैंने अब जैसे की सब्जी क्या बन रही है वह देख रहा हूँ वैसे झुक के कढाई में देखा. और ऐसा करते वक्त मैंने अपना हाथ उन्नती के कंधे पर रखा था. उन्नती की लंबी सांस मेरे
कान से छिप नहीं सकी. मैंने अब धीरे से कंधे से हाथ हटाया और मैं बोला, मुझे भी सिखा दो खाना बनाना ताकि मैं भूखा ना रहूँ. उन्नती कुछ नहीं बोली, कामदेव उसके उपर सवार हो चुके थे. मैंने झट से अपने लंड वाला हिसा उसकी गांड के
उपर अड़ा दिया. उन्नती कुछ नहीं बोली और शायद उसे भी मेरे लंड की गर्मी अपनी मल्लू गांड के उपर अच्छी लग रही थी.उन्नती ने तभी अपना हाथ पीछे किया और मेरा लंड पकड के सहलाने लगी. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चुन्चो के उपर रख
दिए और गेस को बंध कर दिया. उसके ब्लाउज में छुपे उसके मांसल स्तन मुझे चूसने और चोदने थे. मैंने उसका पल्लू हटाया और ब्लाउज के बटन जो उसके चुन्चो के उपर ही थे उन्हें खोल दिए. उसके बड़े और भारी मल्लू स्तन ब्रा नहीं
पहेनी थी इसलिए तुरंत बहार आ गए, मैंने जरा भी समय बिगाड़े बिना अपनी ट्रेक पेंट उतार दी और लंगोट को भी खोल डाला. मेरा तना हुआ लंड इस कामवाली की नजर में आते ही वह भी बोखला गई और उसने तुरंत मेरे लंड को अपने मुहं में ही
डाल दिया….और चालू हुई एक मस्त देसी ब्लोजोब, जिसमे लंड का सुपाड़ा और गोटों को भी उन्नती सेक्सी तरीके से चूसने लगी, वह मेरी गांड पर हाथ दिए हुए लंड को गले तक खिंच खिंच के चूस रही थी. मेरे हाथ इस मल्लू सेक्स बम की कमर पर
थे और मैं उसके गांड को भी बिच बिच में सहला रहा था. चुसाई के बाद मल्लू कामवाली लंड लेने को उतारू थी मेरा लंड मस्त गर्म हो चूका था और तन चूका था उसकी लम्बाई अब लगभग 8 इंच जितनी हो चुकी थी जो किसी भी चूत को फाड़ने के लिए
काफी थी. मैंने लंड को जैसे ही इस मल्लू के मुहं से बहार निकाला वह वही कीचन के फर्श पर लेट गई और अपने घाघरे को उठाने लगी, उसका घाघरा उठते ही उसकी देसी बालोवाली चूत मेरे सामने आ गई. मैं अपना लंड को थोडा हिलाया और इसकी
चूत के उपर रखा. यह बालोवाली चूत काफी गर्म थी, उन्नती ने लंड को सही छेद पर रखने में मेरी मदद की और मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में दे दिया. उन्नती आह आह आह ओह ओह ओह्ह्ह्हह करने लगी और मैंने भी बिना रुके घचघच
उसकी चुदाई ट्रेन की गति से चालू कर दी. मल्लू चूत की गर्मी मस्त थी और वह मुझे कमर से पकड कर झटके देने में मदद कर रही थी. उन्नती की गांड हिल रही थी और चुदाई का मजा दुगुना हो रहा था. चूत ली और फिर गांड भी मारी दस मिनिट तक
मैं उन्नती की चूत को लंड से ठोकता रहा और उन्नती भी मेरे लंड को बहुत सुख दे रही थी. मैंने उसके चुंचे कितनी बार जोर जोर से दबाये और यह मांसल चुंचे मेरे हाथ में मुश्किल से आ रहे थे. उन्नती भी ऊँची नीची होकर चुदाई का
देसी मसाला अनुभव कर रही थी. मेरे मन में अब उन्नती की गांड लेने का विचार आया, मैंने लंड को उसकी गांड से निकाला और उसे उल्टा लिटा दिया. उन्नती भी समझ चुकी थी की अब हमला पीछे से होने वाला है और इसीलिए उसने अपने हाथ में
थोडा थूंक लिया लेकिन मैंने उसे थूंक गांड पर नहीं लगाने दिया. मैं खड़ा हुआ और उसने किचन के पास रखी हुई तेल की बरनी से चमच भरके तेल लिया और उसकी गांड के उपर ऊँचे से डाला, मूंगफली का तेल गांड पर गिरते उन्नती हिली और
मैंने उसे कमर पकड के दबाये रखा. थोडा तेल मैंने लंड के टोपे पर भी डाल दिया और फिर मैं लंड को इस मल्लू गांड के छेद पर रख दिया. धीमे से एक झटका लगा और गांड के अंदर लंड एक झटके मात्र में समां गया. मैंने धीमे धीमे गांड
मारने की गति बढाई और फिर तो मैं इस मल्लू गांड को ऊँचा हो के कुत्ते चुदाई करते है वैसे जोर जोर से ठोकने लगा. गांड के उपर मेरी झांघ के थपाको की थप थप सी आवाज आने लगी और उन्नती भी गांड हलाकर मजे लेने लगी. गांड का हमला
सफल रहा….! कुछ दो मिनिट की गांड मराई के बाद मेरे लंड को एकदम भारी उत्तेजना हुई और लंड के अंदर एक खिंचाव सा आया. लंड वीर्य की धार छोड़ने लगा और कुछ बुँदे गांड के बहार भी निकल आई. इस सेक्सी मल्लू गांड से टपकता वीर्य
बहुत उत्तेजक लग रहा था. उन्नती उठ खड़ी हुई और बाथरूम से गांड और चूत धोके आई, उस दिन उसने सब से अच्छा खाना बनाया जिसे मैंने पेट भर के खाया, वैसे भी इस भारी सेक्स के बाद मुझे एनर्जी की जरुरत थी……! दोस्तों आपको यह मल्लू
कामवाली की कहानी कैसी लगी यह हमें जरुर कमेन्ट में लिख भेंजे…हम फेसबुक और ट्विटर पर भी आपके रिस्पोंस के लिए आप लोगो के खूब खूब आभारी है.

चुदाईवाली बाई

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आकाश है और मेरी उम्र 18 साल है, में बहुत अच्छा दिखने वाला और स्टाइलिश लड़का हूँ और मेरा लंड 7 इंच का है। मेरी एक कामवाली है, जिसकी उम्र 28 साल है और उसका नाम रेशमा है और वो दिखने में बहुत ही
सेक्सी माल है, वो हमारी सोसाईटी के पास वाली झोपड़पट्टी में रहती है, वो हमारे यहाँ पर पिछले पांच महीने से काम पर है और वो दिखने में बहुत ही हॉट सेक्सी है, उसको देखकर नहीं लगता कि वो एक शादीशुदा औरत है, वो दिखने में
बिल्कुल कुंवारी लड़की की तरह लगती है और उसका वो सेक्सी बदन झूलते हुए बूब्स मटकती हुई गांड मुझे हमेशा ही उसकी तरफ आकर्षित करते है। दोस्तों उसकी वो साड़ी पहनने की स्टाईल भी बहुत सेक्सी है और उसे देखकर तो किसी का भी
लंड खड़ा हो जाए, वो कुछ ऐसी ही है कि उसकी साड़ी एकदम कसी हुई हमेशा नाभि से नीचे रहती है, जिसकी वजह से उसकी वो सेक्सी कमर उस पर वो गहरी नाभि हर किसी को अपनी तरफ झुकने पर बेबस करती है और उसकी वो चोली भी थोड़ी छोटी होती है,
उसकी कमर पर एक चैन, हाथ में हरे कलर की चूड़ियां आधा दिखता ब्रा, आगे बिखरे हुए बाल उसके बूब्स पर से हमेशा लहराते है, उसको इस तरह सजाधजा देखकर मुझे ऐसा लगता था कि वो हर रोज दस लोगों के साथ सेक्स करती होंगी और उसकी चूत
अब तक फट चुकी होगी। दोस्तों में अब आप सभी सेक्सवासना डॉट कॉम के चाहने वालों को और ज्यादा बोर ना करते हुए सीधा अपनी आज की सच्ची घटना जिसमें मैंने मेरी कामवाली बाई को चोदकर अपनी घरवाली बनाया, सुनाने जा रहा हूँ।
दोस्तों जब मैंने पहली बार उसकी चूत को देखा तो में देखता ही रह गया, क्योंकि मैंने उसके रहने के तरीके को देखकर गलत अंदाजा लगा लिया था और जब उसकी प्यासी छोटी सी कुंवारी चूत को देखा तो में उसे घूर घूरकर कुछ देर देखता
ही रहा और मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ कि उसकी चूत क्या ऐसी भी हो सकती है? दोस्तों में उम्मीद करता हूँ कि यह मेरी अपनी सच्ची चुदाई की घटना आप सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी और अब में उस घटना को थोड़ा विस्तार से
सुनाता हूँ। दोस्तों उसको पहली बार देखकर ही में उसका दीवाना हो गया और मन ही मन उसे चोदने बूब्स को चूसने दबाने के बारे में विचार करने लगा और मुझे अब कैसे भी करके उसकी चूत को एक बार जरुर अपने लंड का मज़ा देना था।
दोस्तों मेरे परिवार में मेरी बहन, में और सिर्फ़ मेरी माँ है, मेरे पापा की कुछ समय पहले म्रत्यु हो गयी है, इसलिए अब घर में हम तीन ही लोग रहते है, मेरी माँ हर रोज सुबह जल्दी उठकर करीब दस बजे सबसे पहले अपने ऑफिस चली जाती
है और उसके बाद मेरी दीदी हमेशा अपनी पढ़ाई के लिए कभी अपने कॉलेज तो कभी अपनी दोस्तों के घर पर, लेकिन हमारे घर से हमेशा पूरा दिन बाहर रहती है और में भी हमेशा अपने दोस्तों के साथ इधर उधर भटकता रहता हूँ, इसलिए घर पर कोई
नहीं रहता, लेकिन दोस्तों जैसे ही जिस दिन से रेशमा हमारे घर पर काम करने आई, वैसे ही मैंने बिना किसी काम के बाहर आना जाना बंद कर दिया, यहाँ तक कि अगर कोई मुझे काम भी बताता तो भी में बहुत मुश्किल से अपने घर से बाहर
निकलता। दोस्तों वो भी बस उसी टाईम पर मेरे पास आती थी, जब मेरी माँ और मेरी दीदी घर पर ना हो और उसके पास हमेशा हमारे घर की एक दूसरी चाबी रहती थी, जिससे वो घर के अंदर आकर अपना सारा काम खत्म करके बिना किसी से कुछ कहे चली
जाती थी। एक दिन में मेरे रूम से किचन की तरफ देख रहा था तो मुझे उसकी गांड और लटकते हुए बूब्स दिखाई दिए। उस समय वो झाड़ू लगा रही थी और में अपने बेड पर पड़े पड़े उसके मज़े ले रहा था। फिर मेरे दिमाग में ना जाने कहाँ से एक
विचार आ गया और अब मैंने अपने मोबाईल में उसकी वीडियो और कुछ फोटो निकलवाकर उसे देख देखकर में मुठ मारता था और ऐसा पूरे तीन महीने से हो रहा था, लेकिन मुझमें ज्यादा हिम्मत नहीं थी कि में उसको जाकर पकड़ लूँ। एक बार में
दोस्तों के साथ गांजा पीकर अपने घर पर लोटा। उस दिन मैंने बहुत नशा किया हुआ था। मैंने घर पर आते समय नशे में एक प्लान बनाया कि मुझे आज कैसे भी करके रेशमा को चोदना ही है। में अपने घर पर पहुंच गया और दरवाजा खोला अंदर गया
और अब में रेशमा को याद करके मुठ मारने लगा, रेशमा उह्ह्ह्ह रेशमा कहकर, लेकिन में गांजे के नशे में बिल्कुल भूल गया था कि मुझे बाथरूम का दरवाजा भी बंद करना था और मुझे जब उसे बंद करने के बारे में याद आया तो में दरवाजा
बंद करने लगा। फिर मैंने देखा कि वहां पर रेशमा मुझे छुपकर देख रही थी। जैसे ही उसने मुझे और मैंने उसे देखा तो वो तुरंत शरमाकर भागकर चली गई, क्योंकि में उसके सामने बिल्कुल नंगा था। फिर नहाने के बाद जब मुझे नशे का असर
थोड़ा कम हो गया, तब मुझे एक बात सोचकर घबराहट और बैचेनी होने लगी कि में जब मुठ मारते वक़्त रेशमा रेशमा कह रहा था, तब उसने मुझे देख लिया था और अब वो मेरे घर से अपना काम छोड़ देगी तो मेरा उसको चोदने का सपना कभी पूरा नहीं
होगा। फिर मैंने टावल पहना और वो तब किचन में जाकर मेरे लिए चाय बना रही थी। किचन के सामने से गुजरते वक़्त मैंने उसे देखा तो वो किचन के फर्श पर अपनी गांड लगाकर मेरी तरफ़ देख रही थी, उसकी नज़र मुझ पर ऐसी थी कि जैसे वो
मेरी रंडी हो। फिर में अपने रूम में चला गया, तब तक वो भी मेरे लिए चाय लेकर रूम में आ गई और फिर वो मुझसे बोली कि यह लो आकाश चाय, तो मैंने कहा कि सामने टेबल पर रख दो और तुम मेरा बेड साफ कर दो। अब वो मेरे कहते ही तुरंत मेरा
बेड साफ करने लगी थी। में तैयार हो रहा था तो में कांच से उसको अपना बेड साफ करते वक़्त उसकी गांड, बूब्स को देख रहा था, अभी भी में टावल में खड़ा हुआ था और उसके सेक्सी गदराए बदन को देखकर मेरा लंड अब खड़ा हो चुका था, तभी
अचानक मेरा टावल नीचे गिर गया और में पूरा नंगा हो गया। तभी रेशमा ने मुझे देख लिया कि मेरा लंड तनकर खड़ा हुआ है, में थोड़ा घबरा गया और टावल को उठाने के लिए थोड़ा नीचे झुक गया। तभी उसने मस्ती में आकर मेरा टावल पकड़कर खींच
लिया तो मैंने उससे कहा कि यह सब क्या है रेशमा? प्लीज तुम मुझे मेरा टावल दे दो। फिर उसने मुझसे कहा कि तुम अभी तक बच्चे हो, इसीलिये मैंने आपका टावल खींचा और वो हंसते हुए शरमाकर चली गई। फिर मैंने फ़टाफट अपने कपड़े
पहने और में भी तुरंत किचन के पास चला गया, वो किचन से बाहर खिड़की के पास खड़ी हुई थी। वो वहां पर खड़ी होकर चाय पी रही थी। फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके धीरे धीरे उसके पीछे चला गया और मैंने उसकी गांड को पीछे से कसकर पकड़
लिया। फिर उसने पीछे मुड़कर देखा और में अब थोड़ा सा घबरा गया था। फिर उसने मुझसे पूछा कि आकाश तुम यह क्या कर रहे हो? लेकिन मैंने उससे कुछ नहीं कहा, में बस थोड़ा सा पीछे हो गया, जिसकी वजह से मेरा लंड अब उसकी गांड के पीछे था,
लेकिन मुझे अभी तक याद नहीं था कि मेरा हाथ अभी भी उसकी गोरी गोरी कमर पर था। अब उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि आकाश फिर से करो ना और अब वो ज़ोर से हंसने लगी और अब में मन ही मन बहुत खुश हो गया और मुझे भी इस बात का पक्का
विश्वास हो गया कि रेशमा भी मेरे साथ अपनी चुदाई के लिए तैयार है, क्योंकि वो अब कुतिया की तरह अपनी गांड को थोड़ा ऊपर करके चाय पीने लगी। अब में ज़रा भी नहीं हिचकिचाया और मैंने एक बार फिर से जाकर उसकी कमर पर हाथ रखकर
अपनी कमर को उसके कूल्हों से चिपका दिया और जैसे ही मैंने उसकी गांड पर अपनी जाँघ रखी तो वैसे ही मेरा लंड करीब दो सेकेंड में उसकी गरमी पाकर बड़ा होकर उसकी गांड को साड़ी के ऊपर से धक्के देने लगा और अब मैंने उससे कहा कि
रेशमा में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, में तुम्हें बहुत प्यार करूंगा और तुम्हें बहुत अच्छी तरह से रखूंगा। दोस्तों यह सब सिर्फ़ पांच सेकेंड के अंदर अंदर हुआ, लेकिन अब तक उसने मुझसे कुछ
नहीं कहा। फिर वो उठी और अपना सर मोड़कर ठीक से खड़ी होकर अपनी जीभ मुझे दिखाकर आआहह आकाश कहने लगी और अब उसने अपने हाथ को पीछे करके मेरी गांड पर रख दिया था। में समझ गया कि उसको अब मुझसे क्या क्या चाहिए? तो में झट से उसके
पीछे गया और रेशमा एकदम सीधा हो गई, उसके हाथ से अब चाय नीचे गिर गई और तभी उसने मुझे किस किया और कहा कि आज तुम्हारी माँ थोड़ा सा जल्दी से आनी वाली है और हम लोग बचा हुआ काम कल करते है, तुम अब मुझे छोड़ो ना, मुझे जाने दो,
लेकिन मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और अब उसे ज्यादा ज़ोर से जकड़ लिया था। तभी वो अब मुझसे कहने लगी कि देखो बाहर कोई आ रहा है, लेकिन मैंने नहीं सुना और में अब उसकी गर्दन को चूमने लगा, वो मुझसे छूटने का बहुत प्रयास
कर रही थी, लेकिन मैंने उसे बहुत ज़ोर से जकड़ रखा था। तभी सामने से अचानक मेरी मम्मी आकर खड़ी हो गई, उन्होंने हम दोनों को इस तरह देख लिया था और वो बस हमे देखती ही रह गई, मेरी तो पूरी गांड फट गई और मेरी पकड़ उसकी कमर से
कमजोर होने लगी थी और उस बात का फायदा उठाकर रेशमा मुझसे छूटकर भागकर बाहर दूसरे कमरे में चली गई। दोस्तों मेरी माँ अब भी मुझे ही देख रही थी, मेरा चेहरा बहुत उतरा हुआ सा था और मुझे लगा कि मम्मी आज मुझे बहुत मारेगी,
लेकिन दोस्तों ऐसा कुछ नहीं हुआ। माँ ने मुझसे हर दिन की तरह बिल्कुल शांत आवाज़ में रोज की तरह बात की। दोस्तों में अब उनका इतना सब कुछ देखने के बाद भी मेरे लिए ऐसा बदला हुआ व्यहवार देखकर बहुत हैरान था और में अब बहुत
गहरी सोच में डूबा हुआ था। तभी माँ ने मुझसे कहा कि अरे बोलते क्यों नहीं आज गये थे ना अपनी ट्यूशन के लिए? मैंने कहा कि हाँ वो उन्होंने मुझे कल बुलाया है, में इसलिए कुछ देर वहां पर रुककर चला आया। अब मुझे बिल्कुल भी यकीन
नहीं हुआ कि माँ ने कुछ देर पहले रेशमा को मेरे साथ मेरी बाहों में देख लिया था, उस समय मेरा एक हाथ उसकी कमर से होता हुआ उसकी भरी हुई छाती पर जा रहा था और मेरा मुहं उसकी गर्दन को चूम रहा था, लेकिन वो मुझसे अब तक कुछ भी
नहीं बोली, मुझे लगा कि शायद उनको कुछ समझ नहीं आ रहा होगा और अब मैंने वो सब जो कुछ हुआ उसके बारे में सोचना बिल्कुल बंद कर दिया था। मुझे लगा कि माँ मेरी हर एक ज़रूरते पूरा करती है तो वो चाहती होंगी कि मेरी यह ज़रूरत भी
पूरी हो जाए, शायद इसलिए वो मुझसे कुछ नहीं बोली होंगी? फिर कुछ घंटो बाद रात हो गई और हम लोग खाना खाने के बाद टी.वी. देखने लगे। में कुछ देर बाद उठकर अपनी छत पर जाकर गांजा पीकर फिर से नीचे आकर सो गया। दोस्तों दूसरे दिन
में सुबह बहुत देर से उठा करीब 12 बजे, तब तक माँ ऑफिस चली गई थी और मेरी दीदी कॉलेज जा रही थी। में अब बहुत बेसब्री से रेशमा का इंतजार कर करके उसके बारे में सोचकर दो बार मुठ मार चुका था, लेकिन तब तक भी रेशमा नहीं आई। फिर
मैंने अपनी माँ को यह सब मालूम होने के बावजूद भी मैंने उनको कॉल करके रेशमा को हमारे घर पर बुलाने को कहा और माँ के कॉल करने के बाद रेशमा बहुत देर से आई और में फिर से झटपट बाहर से जाकर गांजा पीकर आ गया। फिर मैंने धीरे
से दरवाजा खोलकर बाहर से देखा कि रेशमा सबसे पहले मेरे कमरे में झाड़ू लगा रही थी और फिर मैंने यही अच्छा मौका मान कर तुरंत दरवाजा बंद करके अंदर जाकर झट से अपने कमरे का भी दरवाजा बंद कर दिया। फिर उसने मेरी तरफ थोड़ा
घबराकर देखा और फिर मेरे पास आ गई। फिर उसने मुझसे कहा कि दरवाजा खोलो, मुझे इस चक्कर में आकर मेरी नौकरी नहीं गंवानी, हम लोग बहुत ग़रीब है और हमे काम की बहुत ज़रूरत है, कल तुम्हारी माँ ने मुझे एक बार माफ़ किया है, यही
उनकी रहम दिली है नहीं तो दूसरों के घर पर होती तो उन्होंने मुझे बहुत धक्के मारकर बाहर निकाल दिया होता। फिर मैंने उसका एक हाथ पकड़ा और उसको यह झूठ बोला है कि माँ ने जब मुझसे पूछा कि में तुम्हारे साथ यह सब क्या कर
रहा था। तब मैंने उनसे कहा कि रेशमा की गर्दन पर एक कीड़ा बैठा हुआ था और वो चिल्ला रही थी तो मैंने उस कीड़े को उससे दूर करने में उसकी मदद की थी और बस माँ मेरे मुहं से यह बात सुनकर मुझसे कुछ नहीं बोली और वो बोली कि अच्छा
ठीक है। अब तुम बिल्कुल भी मत डरो। फिर मैंने उसे बेड पर बैठा दिया, मुझे अब गांजे का थोड़ा थोड़ा नशा चड़ गया था और मेरा लंड एकदम टाईट हो गया था, उसने मुझे किस किया और में अब उसकी गांड को दबाने लगा। फिर उसकी चोली का हुक खोल
दिया और अब में उसके बूब्स के निप्पल को चूसने लगा, रेशमा के मुहं से अह्हह माँ स्स्स्साईईईई निकल गया, में उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था और वो मेरी पेंट का बेल्ट खोल रही थी, उसने फिर मेरी शर्ट को उतार दिया और पेंट
को निकाल दिया और मैंने उसे फिर से हग किया। फिर उसने मुझसे कहा कि मेरी गांड पर अपना लंड लगाओ, उसकी चोली नहीं थी, लेकिन उसके नीचे साड़ी थी और में उसकी साड़ी नीचे लेने लगा तो उसने कहा कि मुझे साड़ी में ही चोदो। वो अब डॉगी
स्टाईल में बैठ गई थी और अपनी गांड को आगे पीछे आगे पीछे कुत्तो की तरह हरकत करने लगी, उसके मुहं से नशीली आवाज़ निकल रही थी, आकाश आह्ह्हह्ह सस्साआहा उफ्फ्फ्फ़ चोदो ना। अब मैंने उसके पीछे जाकर अपना लंड हाथ में पकड़कर
उसकी साड़ी में घुसा दिया। मेरा लंड साड़ी के साथ ही उसके दोनों गुब्बारों के अंदर चला गया। फिर मैंने उससे कहा कि ओह वाह रेशमा तुम्हें कितना कुछ पता है? तब उसने मुझसे कहा कि पगले में भी कुछ सालों पहले एक कॉलेज स्टूडेंट
थी और मेरी शादी मेरी मर्जी से हुई थी। मेरा पति मुझे हर रोज नये नये तरीकों से चोदता था और मैंने उसके साथ सेक्स के बहुत मज़े किए, लेकिन अब पूरे 9 साल हो गये है मुझे किसी ने नहीं चोदा, अब तुम्ही मेरे पति की तरह मुझे हर बार
चोदना और मेरी प्यासी चूत को अपने लंड से हर बार शांत करना। फिर मैंने उससे कहा कि रेशमा मुझे माफ़ करना, लेकिन मुझे तुम्हारी गांड बहुत अच्छी महसूस हो रही है और में तुम्हारा पति हूँ, लेकिन सिर्फ़ तुम्हें ऐसे कैसे
छोड़ सकता हूँ? अब मैंने उसकी साड़ी को नीचे खींचकर देखा तो उसकी चूत पर एक भी छोटा सा बाल नहीं था। उसकी चूत दिखने में एकदम 13 साल की बच्ची की तरह थी। फिर वो बोली कि हाँ देखो आकाश पिछले 9 साल हो गये है, अभी तक मेरी चूत में
किसी का भी लंड अंदर नहीं गया, मुझे किसी ने नहीं चोदा। मैंने अपनी चूत के आज तक कभी ऊँगली भी नहीं की, लेकिन तुम मुझे बहुत पसंद आए हो, इसलिए मैंने अपनी चूत को तुम्हारे हवाले कर दिया है, तू जैसे चाहो जब चाहो मुझे चोद सकते
हो, में तुम्हें कभी भी मना नहीं करूंगी। दोस्तों में उसकी चूत को देखकर एकदम पागल हुआ जा रहा था और अब में उसकी चूत को ऊपर से चाटने लगा, तभी उसने कहा कि हाँ चाट मेरे राजा उफफ्फ्फ्फ़ हाँ आईईईइ आज तुम मुझे पूरा खा जाओ
आह्ह्ह्ह पूरा अंदर तक अपनी जीभ को डालकर चाटो स्सीईईईई। दोस्तों उसका इतना जोश देखकर में और भी जोश में आ गया, वो अब अपनी चूत को उठा उठाकर मुझसे चटवा रही थी। फिर कुछ देर चूत को चाटने के बाद मैंने उसको अपना लंड उसके
मुहं में लेने के लिए कहा, उसने मुझे धक्का देकर बेड पर नीचे गिरा दिया और वो अब मेरे ऊपर लेटते हुए मुझे किस करके मेरी गर्दन को चाटने, पेट को चूमते हुए नीचे आती हुई फिर लंड के ऊपर उसने हल्का सा चुम्मा लेते हुए जीभ लगाई
और फिर मेरी तरफ आखों में आखें डालकर ऐसे हंसने लगी जैसे उसे आज अपनी जिंदगी की सारी खुशियाँ मिल गई हो, उसने लंड पर फिर से अपनी जीभ को लगाकर गोल गोल घुमाकर मुहं में ले लिया और बहुत मज़े से मेरे लंड को चूसने लगी। फिर उसके
कुछ देर चूसने के बाद में उसके मुहं में झड़ गया और उसने मेरा पूरा वीर्य पी लिया और में उसके बूब्स को सहला रहा था, धीरे धीरे निप्पल को निचोड़ रहा था और हम दोनों बहुत देर तक ऐसे �

कामवाली चुदसी आंटी की चूत फाडी

दोस्तो मेरा नाम राकेश है मे उत्तर प्रेडेश क अल्लहाबाद सहर का रहने वाला हू, मे सेक्स का इतना प्यासा हू की सेक्स क लिइए कुछ भी कर सकता हू मेरी उमर अवी 24साल ह,यह कहानी तब की ज्ब मे 15 साल का था ,मे एक अची फॅमिली से बिलॉंग
करता हू मेरे पापा एक पोलीस ऑफीसर है ओर मम्मी प्रिन्सिपल है. पुराने नौकर के कम छोड़के जाने की वेजेह से घर मे मम्मी को प्रॉब्लम्स हो रही थी तो पापा ने एक 26साल की शादी शुदा काम वाली ले आए .मे उसको देख के ढंग रह गया था
एक दम गोरी चित्ति.. फिगर 32 30 32 हाइट 5फ्ट की होगी. मे उसको देखे यह सोचा की श्यद अब मेरे लॅंड की प्यास भुजा जाइएगी उसकी फिगर देख के तो मेरा लॅंड उछालने ल्गता था जब वो झुके झाड़ू मारती उसकी गॅंड का शेप देख के मॅन करता था
की अवी अपना लॅंड उसकी गॅंड मे दल डू ..ज्ब वो पूस्छा मारती तो उसके बड़े- बड़े बूब्स को देखता ,,ओर उसके नाम की बातरूम मे जाके मुउथ मरता एक दिन मेरी छूटी थी मे घर पे था मम्मी पापा जॉब पे चले गये वो 9ब्जे आई घर के कम करने
मे अपने रूम मे पॉर्न देख रहा था ओर अपने लॅंड को हाथ मे लेके मूठ मार रहा था तभी अचानक मेरी नज़र पड़ि तो देखा काम वाली पीछे खड़ी है .दोस्तों ये कहानी आप सेक्सवासना डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मे डर गया ओर अपने लॅंड को
छिपाने ल्गा ..फिर वो गुस्से से मुझे देखती हुई रूम के बहर चली गई.. मे 10मीं बाद अपने रूम मे से त्यआर होके निकाला ..कामवाली किचन मे बर्तन धू रही थी .मे जाके बोला ..आंटी चैये पिओगी तो मुझे गुस्से मे नही बोलके ..गेस्ट रूम मे
जाके झाड़ू मरने ल्गी ..मे उसके गुस्से से डर गया था मे जाके कामवाली आंटी सॉरी बोलने ल्गा वो बोली तुझे शरम न्ही आती यह सब कम करते हुए रुक तेरी मम्मी को आने दे बताती हू यह सुन्न के ...मे डर गया ओर उनसे मफ्फी माँगने ल्गा
वो कहती ..न्ही तू बिगड़ गया मे ह रोज़ तूने मूठ मरके बातरूम गंदा किया होता ह ...मे बोला आंटी मम्मी को मत ब्ताना मे आगे ऐसा न्ही कृंगा ...मेरे डर की वेजेह से आसू आनने ल्गा ओर रोते रोते माफी मॅगने ल्गा उसने कहा की
प्रोमिसस कर आगे से यह मूठ न्ही मरेगा ..मैने प्रोमिसस किया ..मैने कहा आंटी प्ल्ज़ मम्मी को मत ब्ताना ..वो बोली इतनी आसानी से न्ही मानने वाली मे मैने कहा आंटी अगर आपको पैसे चाहिए तो ले लो बस मम्मी को न्ही ब्ताना .उसने
मुझे एक थपद मारा ओर बोली मे बिकौउ न्ही हू फिर मैने कहा आपप जो बोलॉगी मे वो कर दूँगा बस मम्मी को मत ब्ताना तो वो बोली न्ही बतती ओर मे बस टझे डरा र्ही थी यही तो उमर है मस्ती करने की.. ...अब खुश हो जा ओर हा मूठ मारना बंद कर 
दे .. लॅंड चूत चोदने के लिए होता है .दोस्तों ये कहानी आप सेक्सवासना डॉट कॉम पर पड़ रहे है। यह सुनके मे हैरान हो गया .ओर उन्हे देखता ही रह गया .वो बोली देख मे तुहे सिखाती हू कैसे इश्स लॅंड को ईस्तमाल करते है ..उसने अपना
हाथ मेरी ज़िप पे रखा ओर बोली अरे मेले राजा तेरा लॅंड तो सो रा है ..मे यह सब देखे हैरान था वो बोली पेंट उतार मे बोला क्या.. तो वो बोली सुनाई न्ही देता पेंट उतार ...मैने अपनी पेंट उतार दी .. उसने मेरा अंडरवेर कीच के निकल
दिया ... मेरा 6इंच का लॅंड को हाथ से हिलने ल्गी ओर देखते देखते मेरा लॅंड पूरी तारेह से खड़ा हो गया ...ओर लॅंड का साइज़ 9इंच हो या वो बोली तेरा लॅंड तो काफ़ी ब्डा हा..ओर झट से लॅंड के टोपे को मूह मे लेली ओर आइस्क्रीम की
तारेह चूसने ल्गी ..ऐसा पहेली बार हो रा था मुझे ऐसा ल्ग रा था जैसे जन्नत नसीब हो गयइ हो. मेरे लॅंड को चूसने के बाद वो खड़ी हो गयइ फिर उसने पानी सारी उतरी उसको ब्लाउस ओर पेटीकोटे मे देखे मे पागल सो गया क्या लग रही थी
वो मुझे बोली सोफे पे ही चोदेगा या बेडरूम मे .. मे बोला जहा आप बोलो ....वो बोली चल बेडरूम मे ही तेरा पहला चान्स है अभी ,,हम दोनो बेडरूम मे आए उसने कहा चल लेट जा फिर वो मेरे उपर आई ... ओर मुझे किस करने ल्गी ... मे भी उसे किस कर
रहा था उसके चुचियो को दबा रा था ....मैने उसके पेटीकोटे का नडा किचके खोला ओर साथ ही ब्लाऊज भी उतार दी उसने ... पिंक कलर की ब्रा ओर मॅचिंग पेंटी पहनी हुई थी .. मैने उसके बूब्स को ब्रा से बाहर निकाला ओर चूसने ल्गा वो मेरा
सिर पकड़ से मुझे अपने चुचियो चूसा रही थी ... उसके बूब्स कड़क हो गये थे वो मधहूस होके बोले चूस मेरे राजा चुस्स मे बहुत दीनो से प्यासी हू चुस्स ले मेरा सारा रस्स आआआहह उहह ऊहह छहुउस्स्स्स्स मैने उसके चुचियो जमके
चुस्के ऐसे करते हुए मेरा एक हाथ उसकी पेंटी मे घुसा दिया ओर उसकी चिकनी चूत को शेलने ल्गा ,,वो सिसकिया ले रही थी मैने अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत एक अंदर डाली ओर हिलने ल्गा वो बोली आआआआअहह राकेश बाबू मर गयइ मे .... आज
मेरी प्यास बुझा दे बहुत महीनो से चुदि न्ही हू .. फिर हम 69 पोज़ीसोन मे आगे ओर वो मेरा लॅंड चूसने ल्गी ओर मे अपनी जीभ से उसकी गरम चूत पे रखा काफ़ी कामुक खुसबू आ रही थी ...मे उसकी चूत को चाटने ल्गा ..यह सब पहली बार हो रा था
जिसकी वेजेह से मेरी कामुकता इतनी बॅड गयइ थी मे पहली बार उसके मूह मे ही झाड़ गया उसने सारा रस्स पिई गयी... मेरा लॅंड ढीला होने ल्गा..फिर से उसने लॅंड को चूसना स्टार्ट किया दोस्तों ये कहानी आप सेक्सवासना डॉट कॉम पर
पड़ रहे है।..ओर लॅंड को अपने बूब्स क बिछे मे दबाने ल्गी ......मे उसके चूत मे उंगली डाले उसका पानी झाड़ रा था ..वो बोली कुत्ते कब तक तडपाएगा ..अब चोद दे .. उसने तोड़ा सा आयिल लेके मेरे लॅंड पे ल्गा के हिलने ल्गी ओर मेरा लॅंड
खड़ा हो गया फिर से ....वो बोली चल एब्ब मेरी चूत को फदड दे अपने तलवार से यह सुनके मे ओर भी जोश मे आ गया ओर उसे घोड़ी बनके .. पीछे से लॅंड उसकी चूत पे सेट किया ... वो बोली वा मेरे राजा पोज़ीसन तो ब्डी सही चुना है मैने कहा
साली रंडियो को ऐशे ही चोदेते है ..तो बोली चल फिर अपनी इस्स रंडी की प्यसस भुज दे ..मैने एक हल्का सा धका ल्गाया बोली ..साले पूरा दाल मैने दूसरा धका ज़ोर से ल्गया ओर 8इंच का लॅंड उसकी चूत मे पूरा घुसा दिया .. आअहह इूहुऊहह
मार डाला रे ... इतना दर्द तो शूहग्रत को न्ही हुआ था साले तेरा लॅंड है या मोटा डंडा ...उसकी गलिया सुनके मुझे गुसा आ गया मैने उसके पीछे बॉल पकड़े एक हाथ से ओर एक हाथ उसकी कमर मे डाली ओर डॉग्गी पोज़ीसन मे टीका के चोदने
ल्गा ..मे ज़ोरो से उसे चोदने ल्गा वो मुझे गलियाँ देके जोश ब्डा रही थी ..आआअहह चोद मधर्चोद...चोद.. आज मेरे चुत का बोसड़ा ब्ना दे ..इसको बहुत खुजली मचती है इसकी प्यास शैन्त कर दे .. कमरे मे चोदने की फ़च पच ओर आअहह वूऊ हााआआ
ओर उसकी सिसकियो क्की आवाज़ से गूँज रही थी.. वो फिर सीधा लेट गयइ फिर मैने उसकी टाँगे खोलके करीब 10मिंट तक वैसे . वो मेरे पीठ सहलाआह के उसपे नाख़ून चुबा र्ही थी ... ओर बोली ओर ज़ोर लगाओ मेरे रज्जा ..मे ओर तेज़ी से चोदने
ल्गा ..अब मे झड़ने वाला था ..उसने कहा अंदर ही झाड़ जाओ ... तभी मेरी चूत की प्यास बुझेगी मेरा वीर्य निकल गया ओर मे मदमस्त हो गया ,,, ओर मेरा पूरा सरीर आनंद से भर गया..दोस्तों ये कहानी आप सेक्सवासना डॉट कॉम पर पड़ रहे है।.
हम दोनो वैसे ही नंगे लेते लेते सो गये ..मे 1 घंटे बाद उठा तो देखा वो .. मेरे सामने सड़ी पहनके आछे से त्यआर होके खड़ी..उसने पूरा रूम क सॉफ सफाई कर दी है ..मैने कहा क्या बात ह ..सब कुछ सॉफ कर दिया ..तो बोली ..अरे मेरे राजा ..मलिक
से फासना थोड़ी है ..अब तो तुझे ही रोज चुदना है .. तो संभलके रहना पड़ेगा ना .. मे बोला आजा एक ट्रिप ओर हो जाए ..वो बोली अरे बाबू मेरी चूत की कंडीशन अवी दुबारा चुदने की न्ही है ... अब कल ..आज तो तुमने इसको चोद्के सूजा दी ... मे
करीब 4 साल तक उसे चोद्ता रहा .. फिर मेरे पाप का ट्रान्स्फर हो गया वाहा से लॉकनाउ ... बात आज व उसकी चुदाई मुझे याद आती ... है ,,..दोस्तो आपको यह कहानी अची ल्गी तो लाएक ज़रूर करना

सुहाग वाली रात मिला धोखा

दोस्तो आज मे आपको एक एक अपनी antarvasna दिल की बात बतातने जा रही हू आशा करती हू hindi sex stories आप सभी मेरी भावनाओ को समझेंगे ओर मुझे मेरी परेशानी हाल करने मे अपना सहयोग करेंगे .मेरा नाम प्रिया है मे राजस्ता के जाईपुर सिटी से हू
मेरा गोरा बदन उभरे हुए ३६ के चुचे मेरे ओर ३२ की गंद आचे आचे लंडो को खड़ा कर देती है पर दोस्तो मे बचपन से ही बहुत शरीफ थी ओर शादी से पहले सेक्स कभी काइया नही क्यूकी मे यह समझती थी इस्पे सिर्फ़ मेरे पति का ही हक़ है पर
दोस्तो किस्मत ओर समय काफ़ी एक से नही होते सोचा हुआ कभी कुछ भी नही होता ऐसा ही हुआ मेरे साथ जब मेरी शादी हुई .. शादी की पहली रात थी मे एक दुल्हन की तेरह साज स्वर के कमरे मे बैठके अपनी पति का इंतज़ार कर रही थी मुझे सेक्स
की बड़ी आसा थी क्यूकी मेरी सारी सहेलियो ने मुझे सेक्स के बारे मे बतती ओर मुझे भी चुड़वाने को कहती पर मेरी सोच अलग थी मे छूट मे उंगली करके अपने वासना शैईंट करती ओर मे यह सारे मज़े सेक्स के अपने पति के साथ ही करना
चाहती थी इसलये मे बड़े बेसब्री से अपने पति का इंतज़ार कर रही थी रत के ११:३० हो चुके थे मेरी ननद भी मुझे अब अकेले रोम मे छोड़ के जा चुकी थी मेरे रोम रोम मे सेक्स की तड़प उठ रही थी | दोस्तों ये कहानी आप सेक्सवासना डॉट
कॉम पर पड़ रहे है। |पर अपने पति की इंतज़र मे रहा नही जा रहा था १२ बाज गये मुझे अपने रूम के दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनाई दी मे खुश हो गयी एक बहुत ही हटा कटा स्मार्ट सा लड़का मेरे बेड के सामने खड़ा था वो कोई ओर नही मेरे
पति सुनील थे दिखने मे वो काफ़ी खूबसूसरत नवजवान थे वो मेरे पास आके बैठे मेरे घुँगत उठाया ओर बड़े प्यार से उन्होने मेरे खूबस्रौती से तारीफ करी ओर मुझे किस करी मैने भी उनका साथ दिया ह्मारा किस करीब १० मिंट चली ओर
फिर हम धीरे धीरे एक दूसरे के बदन को स्पर्श करने लगे वो मेरे सारे घने उतरे फिर मेरे सारी उतरी मे भी उसनकी शेरवानी उतरी उनके बदन बड़ी ही साकत थी उनसे गले लग के मेरे रोम रोम मे जैसे करेंट ही धोड़ जा रहा था मे उनके बदन
से चिपकें रही ओर फिर उन्होने मेरे ब्रा ओर पेंटी को उपर से ही पाने हाथ को बड़ाने लगे मे काफ़ी अछा लग रहा था मे भी पाने हाथ उनके लड़ पे रख के सहला रही थी उनका लॅंड पाजामे के उपर से कुछ फील नही हो रहा था मैने अपना हाथ
उनके पाजामे के अंदर डालते हुए उनका पाजाम निकाला ओर उनके कचे मे अपना हाथ डॅल दिया वो काफ़ी छोटू सा था मुझे लगा अभी जोश मे नही आया मैने उसको खूब सहलाया ओर काफ़ी देर तक हिलाया पर कोई बात नही बनी वो मेरे चुचो को चूसे जा
रहे थे मेरी छूट मे उंगलीइया करे जा रहे थे जिसे मेरे उतेजना काफ़ी बाद चुकी थी पर उनका हथियार तो जंग लड़ने के लिए त्यआर ही नही था मैने उनको सीधा लिट्टाया ओर उनके लॅंड को कचे से बाहर निकल के मूह मे लिया लिया ताकि वो
जल्दी से खड़ा हो जाए यह सब मेरी दोस्तो ने मुझे बता था पहले तो मुझे लॅंड का टेस्ट तोड़ा बेकार लगा फिर नॉर्मल हो गया मेरे करीब १५मिंटू चूसने के बाद उसपे कोई असर नही हुआ मे मैने दुबारा कोसिस करी पर कोई बात नही बनी मे
तक चुकी थी मैईएन सुनील को कहा आपका हथियार को क्या हुआ है यह तो खड़ा ही नही हो रहा है सुनील मेरे से नज़रे नही मिला रहा था मुझे कहता तुम्हे ठीक से चूसने नही आता तो कहा से खड़ा होगा मुझे लगा शयड मेरा पहली बार है इसलये
मैने दुआब्रा ट्राइ काइया आचे मे पूरे लॅंड को मूह मे लेके आइस क्रीम की तरह चूसा उसे खूब हिलाया उसपे अपनी छूट ओर चुचे रगडे पर उसे कोई फ़र्क पड़ा उसको जोश दियालने के चाकर मे मेरा पूरा जोश फीका पद रहा था मैने कहा सुनील
इसे खड़ा करो हमरी पहली शूहग्रत है मे इसे यादगार बनाना चाहती हू
है मैने सुनील को कहा ऐसा क्या है जो तुम्हारा खड़ा न्ही हो पर रहा तो सुनील मुझसे अपनी नज़ारे चुरा रहा था मैने कहा क्या बात है बताओ पर वो ना जाने क्यू मेरे से अपनी नज़ारे चुरा रहा था मुझे कुछ ग़लत संकेत लग रहे थे मैने
कहा तुम्हारा समान कम भी करता है या नही वो कुछ नही बोला कहने लगा मुझे नीड आ रही है सो जाओ अब मुझे कहा नीड आने वाली थी मैने फिर एक बार क़ोस्सिस करी उनको गरम करने की पर कोई बात नही बनी मुझे घुसा आ रहा था मैने गुसे मे कह
दिया कही आप ना मर्द तो नही हो ... वो कुछ नही बोले मुझे एक घेरा सदमा लगा की किसी भी लड़के या आदमी के लिए यह शर्मनाक बात होती है की उसकी पत्नी उसको ऐसा कहे पर उन्हे गुसा ज़रा भी नही आय ओर अपनी मूह झुआके रखा फिर मे थोड़ी
देर शैत्न रही फिर थोड़े ठंडे दिमाग़ से पूछा आख़िर बात क्या है सुनील ब्ताओ मेरे बड़े कहने के बाद उन्होने कहा की मे नामर्द हू मेरा लॅंड खड़ा नही होता | यह सुनने के बाद मेरे पैरो तले ज़मीन खिसक गयी मेरे आँखो से आसू
आने लग गये मैने कभी सपने मे भी ऐसा नही सोचा था की मेरे किस्मत मे यह लिखा होगा मेरे सारे सपने टूट गये मे आँखो से आसू निकले जा रहे थे वो मुझे चुप करने की बहेज कहते सो जा ... मे निहाती रूम के कोने मे बैठ के रो रही थी पर
उन्हे कोई भी परवा नही ... दोस्तो यह कहानी जारी रहेगी अपने भाग मे आपको ब्टौँगी की मेरे जिंदगी मे कोन कोन से मोड़ आए ओर मे कैसे मैने अपनी वासना शैत्न करवाती हू अपने नमार्द पति के साथ तो दोस्तो मेरी कहानी पसंद आई तो
लाइक करके मेरा होसला बढ़ाए ताकि मे अपनी जिंदगी की आप बीती आपके सामने रख साकु .. ध्यनवाद

टीचर कि बेटी अनुराधा की चुदाई

हर दिन जब रात होता है तो हम सभी लड़कों के लंड खड़े हो जाते है. और जब कोई चूत हमारे पास नही होती तो बस हाथ का ही सहारा रहता है. पर सूखे सूखे क्या हाथ मारना. कोई मस्त कहानी तो बनती है. इसलिए दोस्तों, नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर कई सालों से सेक्सी कहानी पढ़ने के बाद आज मैं भी आपक सभी को अपनी सेक्सी कहानी सुना रहा हूँ.
दोस्तों, मैं नया नया जवान हुआ था. सिटी मोंटेसरी स्कूल में साधना मिस हम सब बच्चो को पढाती थी. मैं ८ वी में पढ़ रहा था, पर चुदाई और मैथुन क्या होता है, ये मैं जान गया था. साधना मिस हम बच्चो की क्लास टीचर थी. वो काफी बुड्ढी थी. १० १५ साल से वो पढ़ा रही थी. साधना मिस की मैं बहुत इज्जत करता था. वो मुझे हर टेस्ट में गुड देती थी, क्यूंकि मेरे साले जवाब सही होते थे. मेरे कुछ दोस्त मुझे गंदी फिल्मे दिखाते थे. मैं उस समय नादान था, पर दिल में ख्वाहिश तो थी ही की काश कोई लड़की मेरी गर्लफ्रेंड बन गए. कुछ महीनो बाद जुलाई आई तो साधना मिस से अपनी लड़की अनुराधा का नाम मेरे ९ क्लास में लिखवा दिया. चूँकि अनुराधा मिस जी की लड़की थी , इसलिए वो आगे वाली सीट पर बैठती थी. मैं भी हमेशा आगे वाली सीट पर बैठता था.
मैं पढ़ने में होसियार था, वही साधना मैडम की लड़की भी बहुत होशियार थी. कुछ ही दिन में हम दोनों की अच्छी दोस्ती हो गयी. कई बार वो मुझसे मिलने मेरे घर आती थी. साधना मिस वैसे तो बड़ी सख्त मिजाज थी, पर मेरा रिकॉर्ड अच्छा था, इसलिए अनुराधा को मेरे घर आने देते थे. वो डरती भी थी क्यूंकि अनुराधा अब जवान हो चुकी थी. एक बार में एक लड़का और लड़की क्लास रूम में चुदाई करते हुए पाये गए थे. तबसे सभी टीचर थोडा डरने लगे थे. जब अनुराधा का बर्थडे पड़ा तो उसने मुझे अपने घर पर बुलाया. फिर २ महीने बाद मेरा बर्थडे पड़ा तो मैं अनुराधा को बुलाया.
उस दिन मैं तो उस पर मर मिटा जा रहा था. गुलाब का फूल लग रही थी अनुराधा. जहाँ मैं साढ़े ५ फिट का था वहीँ वो ५ फिट १ इंच की थी. अभी अभी नई नई जवान हुई थी. मम्मे भी अब बड़े होकर पक गए थे. अब वो भोगने और चोदने खाने लायक सामान हो गयी थी. हो सकता है आप लोग कहे की पंकज मिश्र कितना चोदू आदमी है, अपनी मैडम की लड़की की ऐसा कह रहा है. पर इसके जवाब में मैं तो कहूँगा की जब लंड खड़ा होता है और फन मारता है तब माँ की माल लगती है. लंड को तो बस वही ५ इंच गहरा छेद चाहिए होता है. खड़ा लंड तो तब ही बस शांत हो सकता है. सिर्फ बाते पेलने से तो लंड शांत नही होता. इसको तो बस १ छेद चाहिए होता है चोदन के लिए. फिर कैसी मिस और कैसी टीचर.
जब अनुराधा आ गयी तब ही मैं केक काटा. इसमें कोई दोराय नही की मैं उससे प्यार करने लगा था. मैं आज सोच भी लिया था की आज अनुराधा को प्रोपोस मार दूँगा. अनुराधा का बदन भरा हुआ था, उसी से मैं उसके मस्त भरे बदन का अंदाजा लगा सकता था. जैसा फैशन टीवी पर दिखाते है की लडकियां पतली पतली बांस के खंबे की तरह सिकडी पहलवान होती है, अनुराधा उस तरह की बिलकुल नही थी. बिलकुल देसी मछली थी. आह उसके चोदने को मैं कबसे बेक़रार था. कितने सपने देखे थे उसके लिए मैंने. पर साधना मिस से मैं बहुत डरता था, मेरी बड़ी फटती थी उनसे. क्यूंकि बचपन से वो और उनकी डंडी ही मैंने देखि थी. सारे लड़के भी बहुत डरते थे उसने.
बर्थडे का केक कट गया तो सब मेहमान फिर से अपनी अपनी मंडली में खो गए. मैंने अनुराधा को अपने बगीचे में ले आया. एक गुलाब का फूल तोडा और उसको दे दिया.
अनुराधा !! आई लव यू!! मैंने कहा
वो बिलकुल से झेप गयी. कुछ देर तक तो कोई जवाब ना दिया. मैं तो टेंशन में आ गया. क्यूंकि मैं उसे सिर्फ चोदना खाना ही नही चाहता था, पर प्यार भी बहुत करता था. इसलिए मैं थोडा इमोसनल भी था. कुछ देर बाद अनुराधा हँसी और हाँ में उसने सिर हिला दिया. दोस्तों, मैं इतना खुश हुआ की लगा मैंने दुनिया जीत ली है. लगा मैं बिल गेटस बन गया हूँ और दुनिया का सबसे आमिर आदमी हूँ. मैं अनुराधा को अपने कमरे में ले आया.
वो भी अपनी मर्जी से आई थी. मेरे घर में हर तरह पार्टी चल रही थी. हनी सिंह के गाने बज रहें थे. मेहमान ही मेहमान थे. मेरे कमरे में मेरी मौसी की लडकियां बैठी थी, मैं उसको बाहर निकला. अनुराधा मेरे साथ अंडर आ गयी. वो भी जान गयी थी की हम दोनों कुछ ना कुछ करेंगे. अंदर आते ही मैंने अनु [प्यार से मैं उसको कभी कभी अनु भी कह देता था] को सीने से लगा लिया. हम दोनों लिप लोक होकर किस करने लगे. अनुराधा बड़ी ही मासूम थी, जरा भी चंट नही थी. बड़ी सीधी लड़की थी तभी मुझे उससे इश्क हुआ था. मैंने अनुराधा को बाँहों में भर लिया, उसके होठों पर गर्म गरम चुम्बन लेने लगा. पहली बार किसी लड़के के होंठ पी रहा था. बड़ी बात होती है ये.
अनु के होठ पीते पीते हम दोनों गरम हो गए. मैंने अनु की आँखों में बस झाका और मुझे जवाब मिल गया. यही तो प्यार में होता है, बात करने की जरुरत ही नही होती. सारी बातें बस आँखों आँखों में ही हो जाती है. वो भी चुदने को अपने मन से तैयार थी. अनु ने पिंक रंग की कुर्ती पहन रखी थी. बिलकुल घर का देसी लाग लग रही. मैंने उसके पुरे बदन को बाहों में भर लिया और हर जगह सहलाने लगा. उसकी, कंधे, पीठ पर मेरा हाथ गया. फिर उसकी कमर पर मेरा हाथ गया. और फिर उसके हिप्स पर मेरा हाथ गया. भरे भरे गोल गोल हिप्स को छूते ही मेरे दिल ने कहा रोज रोज अनुराधा तो तुमको मिलेगी नही पंकज. मौके का फायदा उठाओ और इस कच्ची कली को चोद लो. वरना कल किसने देखा है. कहीं साधना मिस किसी और स्कूल में पढाने चली गयी तो.
बस मैंने अनुराधा को अपने बेड पर घसीट लिया. वो भी चुदासी थी और कोई नु नुकर उसने नही किया. मैं भी उसके बगल लेट गया. चुदाई की सुरवात चुम्मा चाटी से हुई. काफी देर तक तो चिपका चिपकी चली. आँखों के इशारे में चुदाई का संकेत हो गया. मैंने खुद अनुराधा की गुलाबी कुरती को उतार दिया. जैसे जैसे उसके बदन से एक एक कपड़ा निकलता गया अनु[ अनुराधा] के भव्य रुपए के दर्शन होते गए. अंत में वो अपने आलसी प्राकृतिक रूप में आ गयी. वो १५ १६ साल की लड़की अपने असली भव्य रुप में आ गयी. वो वस्त्रविहीन हो गयी. मैं भी कपड़े निकाल दिए. अनु के रूप को मैं निहारता रह गया. छरहरा इकहरा बदन आज कल की छोकरियों के बिलकुल विपरीत जो फास्ट फ़ूड खा खाके मोटी और भद्दी हो जाती है. मेरे सामने उसका नया नया यौवन से परिपूर्ण बदन खुला हुआ था. अनुराधा के चेहरे पर नूर ही नूर झलक रहा था, उसकी मासूमियत की खूबसूरती. उसके कुंवारे होठ जिसको अभी तक किसी लड़के ने नही पिया था.
उसके उभरे चिकने चुच्चे जिसके चूचकों पर १० रुँपये के सिक्के की साइज़ के काले घेरे थे. जिसको अभी तक किसी से नही चखा था. बार बार मैं अनुराधा के चेहरे को चूमने लगा. मन तो हुआ की इसकी मासूमियत को नष्ट ना करू. इसको ना चोदू. ऐसे ही काम चला लूँ, पर इस महापापी लंड का क्या करता. इसको तो ४ इंच का छेद चाहिए ही ना. ये मेरी बात ना सुनता. इसलिए मैं चुदाई की दिशा में बढ़ गया. सबसे पहले अनु [अनुराधा] के दोनों गुलाबी कुंवारे होंठों को पी कर उनकी सारी लाली चुरा ली. जैसे मधुमखी फूल पर बैठ कर उसका सारा नूर सारा पराग चुरा लेती है. मेरे हाथ लगातार उसके चुच्चों पर लगातार गश्त लगा रहें थे जैसी पुलिस रात में पुरे शहर में गश्त लगाती. अनु के इस भव्य रूप के मैंने आज पहली बार दीदार किया था. स्कूल ड्रेस में तो वो मुझे हमेशा बहन जी टाइप की लगी थी पर आज ऐसे उसके खुले नग्न रूप में वो मुझे आदर्श प्रेयसी लग रही थी.
मैंने पूरी तरह से उसको अपने में भर लिया. उसके सिर को मैंने प्यार से पकड़ लिया और उसके सिक्के जैसे काले घेरों को पीने लगा. अनुराधा के नंगे बदन की खुसबू मेरे नथुने में चली गयी. मैं अनु को पूरी तरह से अच्छे से भोगना चोदना चाहता था. कहीं कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहता था. मैं उसको खुद में लपेट लिया था, रुमाल की तरह वो मुझे सिमट सिकुड गयी थी. साधना मिस से उसके लिए सोने की चैन बनवाई थी. नई नई सोने की चेन उसके गले में बहुत जच रही थी. एक बार तो लगा की मैं उसके साथ गोवा या कोई पर्यटन स्थल पर आया हूँ और हनीमून मना रहा हूँ. उसकी बगलों में बड़ी बारीक़ हल्के हल्के बाल थे. अभी अनु [अनुराधा] पूरी तरह से बालिग भी नही हुई थी और मैं उसको भोगने जा रहा था. उसने अपने लचीले पतले हाथों से मुझे जकड रखा था.
अनुराधा के बदन में बड़ी नवीनता थी. चिकना बदन था जिसको अभी तक किसी से नही चोदा था. मैं उसके दोनों दूध पीने में डूबा था. इसके साथ ही दूसरे खाली दूध को हाथ में लेकर होर्न की तरह दबा देता था. अनु चिहुक उठती थी. उसके रूप और खूबसूरती पर मैं आसक्त था. बाहर मेरे जन्मदिन पर मेरे दुसरे दोस्त और रिश्तेदार और उसके खून चूसूं बच्चे हनी सिंह के गानों पर डांस कर रहें थे. मैं इधर अपनी साधना मिस की लड़की के साथ महा चुदाई की महा पाठशाला लगा रहा था. लहकते, मचलते उसके जिस्म को लेकर मैं कहीं दूसरी दुनिया में खो गया था. अब नीचे की तरह बढ़ रहा था, उसका मखमली पेट, उसकी नाभि को मैंने चूम लिया. अनु खिलखिलाकर हंस पड़ी. नाभि से पेडू से होकर हल्की हल्की बारों की बड़ी महीन बारिक लाइन थी जो उसकी बुर तक जाती थी. चीटियों की तरह मैं एक एक बाल को चूमता चूमता मैं अनु के पेडू पर आ गया. फिर बुर पर आ पंहुचा जैसे अंग्रेज सोने की तलाश करते करते भारत आ पहुचे थे.
अनु की बुर पर हल्की हल्की झांटे थी. उसकी चूत की तरह उसकी झांटे भी अभी कुंवारी थी. मैंने अपना सिर उसकी झांटों के बादल में डाल दिया और कहीं खो गया. मैंने अपना मुह उसकी झांटों में छिपा लिया जैसे जब मासूम छोटा बच्चा अपनी माँ से रूठ जाता है तो घर में कहीं किसी कोने में छिप जाता है. हम दोनों प्रेमी प्रेमिका का चुदाई का बड़ा मन भी था, समय भी था , मौका भी था और दस्तूर भी था. अब तो चुदाई होनी लाजमी थी. हम दोनों एक दूसरे में पति पत्नी की तरह समा गए थे. अनुराधा को आज इस तरह पाकर मैं खुद को बिल गेट्स जितना अमीर समझ रहा था. मैंने झांटों को बीच से अपनी उँगलियों से हटाया तो चूत मिल गयी. मैं पीने लगा. हल्का नमकीन स्वाद मेरे मुह में आया. अनु के चेहरे की भाव भंगिमांए बदने लगी. मैं लपर लपर करके उसकी चूत पीने लगा.
अंततः मैंने अपना लंड उसके भोसड़े पर रख दिया और धक्का मारा. कई दफा लंड इधर उधर भाग गया. मैंने उसकी दोनों जाँघों को पकड़ा, लंड को रिसेट किया और अंडर पेला. उसकी कुंवारी पवित्र सील टूट गयी. मैं अनु को चोदने लगा. उसके सायद बिठाये वो निजी पल सायद बड़े खास थे मेरे लिए. कुछ देर बाद वो चूत का छेद खुल गया. मैं सहजता से अपनी जानेमन को लेने लगा. वो मुझसे लिपट गयी थी , जैसी मुझे अपना पति, अपना दिलबर मान चुकी थी. मैं उसे घपाघप पेल रहा था. कभी उसे दर्द होता कभी नही, पर नए नए चूदाई का सुख तो मेरी अनु उठा रही थी. उसकी नाजनीन पलकें कभी गिरती, कभी उठती, कभी उसकी भौहे फैलती, कभी सिकुड़ती. मैं भवरे की तरह, किसी मधुमख्खी की तरह अनु का सारा नूर , उसका सारा पाराग लूट रहा था. फिर कुछ पलों बाद मैंने अपना अमृत अनु की आत्मा में छोड़ दिया. हम दोनों प्रेमी प्रेमिका आज एक हो गए. हम दो जिस्म थे, पर आज एक जान हो गए. हम दो शरीर थे, पर आज चुदाई के बाद हम एक आत्मा हो गए. मैं भी इधर पूरा हो गया, अनु भी उधर आज चुदकर सम्पूर्ण नारी हो गयी. समय से पहले ही उसे चोदकर मैंने उसके यौवन की कलि को फूल बना दिया. फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए और बाहर आ गए. अभी भी पार्टी चल रही थी. हनी सिंह का ‘ आंटी पुलिस बुला ले गी, फिर पार्टी यूँ ही चलेगी’ ये गाना अभी भी बज रहा था. मेरी और अनु की पार्टी को पूरी हो चुकी थी.
दोस्तों, जिस बात का डर था वही हुआ, साधना मिस के पति को कहीं सरकारी नौकरी मिल गयी और वो हमारा स्कूल छोड़ के चली गयी. मेरा प्यार मेरी मुहब्बत अनुराधा भी उसके साथ चली गयी. मैं बहुत रोया, कई दिन मैंने खाना नही खाया. पर मैं मजबूर था. आखिर में क्या करता. मेरी मुहब्बत अनु चली तो गयी पर उसका प्यार आज भी मेरे दिल में जिन्दा है और हमेशा जिन्दा रहेगा. अगर आपको मेरी मुहब्बत की दास्ताँ पसंद आई हो तो नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर अपनी कोमेट्स लिखना ना भूले. मनमोहक प्यार की कहानियाँ नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढते रहिये, शुभरात्रि.

कुत्ते से चूत फाड़ चुदाई

हे सेक्स प्रेमियो मेरा नाम ज़ोया ख़ान है मे देल्ही की रहनेवाली हू Kutte se chudai hindi sex story और मे म्बबस की पढ़ाई कर रही हू अभी मेरी गए २२साल है मेरी हाइट ५-५ है ओर मेरी चुचको का साइज़ ३२ ओर गंद का ३८ है मेरे घर मे पापा मम्मी मे ओर
मेरा एक छोटा भाई रहते है ...पर छोटे भाई को पापा ने हॉस्टिल मे दल दिया है ओर पापा की आयिल रेफीनारी का कम है तो घर पे १०-१५ दिन ही रहते है घर पे मे ओर मम्मी ही रहते है हुमारे फॅमिली पे एक डोबेरमेन्न नसल का एक कुटा पल रखा
है जिसका नाम शेरू है मे शेरू के सहत बहुत मस्ती करती हू वो बहुत ही आक्टिव ओर हॅंडसम है ....यह कहानी अवी नये साल के बाद की है मेरी मम्मी को नानी के घर जाना पड़ा क्यूकी नही की तब्यत बहुत खराब थी तो मेरे पड़ोसी आंटी को
मेरा ख्याल रखने क लिए बोल के चली गयी वो ४-५ दिन नानी के घर रुकने वाली थी | मे शेरू को अकसर श्याम को घुमाने ले जाती थी ओर उनको पार्क मे खुला चोद देती थी ओर श्याम के ८ ब्ज गये थे मे शेरू को पार्क मे ढूँढ रही थी की कहा छुपा
हुआ है तो मैने देखा की शेरू एक कुटिया के उपर च्ड के उसकी चूत मे अपना मोटा लॅंड डाल रहा था उसका लॅंड पूरा लाल लाल देखे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था जिस टेरेह से वो कुटिया को चोद रहा था दोस्तों ये कहानी आप सेक्सवासना डॉट
कॉम पर पड़ रहे है।... पर मुझे देर हो रहो थीओर सर्दियो मे अंधेरा जल्दी हो जाता है इस करके मुझे घर जल्दी जाना था शेरू को बुलाया वो सुन ही नही रहा था वो तो ब्स चोद्ने मे बिज़ी था एक बार तो उसके चोदने के फुर्ती देख के मेरी
चूत मे भी खुजली मच गई मैने जैसे तैसे उन्हे छुड़ाया ओर शेरू को घर वापिस लेके आ गयी ओर उसे पेडिग्री ओर दूध दिया खाने को ओर मे खुद फ्रेश होने चली गयी वापिस आके डिन्नर काइया फिर ऐसे ही अपनी एक फ्रेंड से बात कर रही थी
वॉटसअप पे तो मेरी फ्रेंड ने मुझे एक पॉर्न वीडियो भेजी वो देखे मेरे अंदर सेक्स की तारक चाड गयी ओर मे अपनी चूत मे उंगली करने लगी मैने अपनी लोवर उतरा ओर आचे से बेड पे सो के अपनी चूत मे उंगली करने लगी शेरू यह देख वो बेड
पे चाड आया ओर मेरी चूत चाटने लगा

कुत्ते से चूत फाड़ चुदाई न्यू हिन्दी सेक्स स्टोरी

उसकी गीली झीब जैसे ही मेरी चूत को चूती ओईय होये दोस्तो मज़ा ही आ जाता मेरे मे सेक्स
के इतने नसे मे थी की शेरू से चुद्वने का प्लैन्न बना लिया था मैने पानी पेंटी ओर ब्रा उतरी ओर शेरू के आग्गे अपनी टाँगे आचे से खोल के लेट गयी ओर मेरी चूत को चॅट रहा था ओर मेरे मुहह से आअहह आअहह की ही आवाज़ आ गरही थी
काफ़ी आचे से टेरेह से चॅट रहा था मेरी चूत २ बार जहड़ चुकी थी मे शेरू के लॅंड पे अपना हाथ फेर रही थी ओर उसको टातो को मूह मे लेके चुस्ती काफ़ी मजेदार थे उसका लॅंड खड़ा हू ओर जैसे ही उसने लड़ निकाला बिल्कुल लाल लाल सा
लॅंड ६इंच का मे झट से मूह मे ले ली ओर तोड़ा सा अंदर बाहर करने ल्गाई शेरू जोश मे आ रहा था वो मेरे मूह मे ही झटके मरने लगा फिर मे कूट्यो की त्तरह झुक गयी शेरू मेरे उपर पीछे से आया ओर २पैर मेरे पीट पे रेक ओर लॅंड डालने
लगा पर लॅंड दल नही रहा था मैने पाने हटो से उसका लॅंड चूत मे लिया ओर जैसे ही वो जाहतके मरने लगा /// आअहह दोस्तो काफ़ी मज़ा आ गया मे बस आअहह उउउहह आआहह आहह करी जा रही थी शेरू का लॅंड मेरी चूत मे जाके मोटा हो गया था जिसके
वेजेह से मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था मे से के जानत मे फिर शेरू ने कई सारे झटके मारे ओर ओर उसका लॅंड काफ़ी फूल लगा ओर मेरी चूत मे फ़ासस गया ओर जैसेही वो मेरी चूत मे झाड़ा उसका गरम गरम सीमेन म्मेरी चूत मे ही दल दिया पर
उसका लड़ मेरी चूत मे पासा हुआ था मैने बहुत निकालने की कोसिस करने लगी पर मुझे दर्द होता शेरू भी अपनी तरेफ से पूरा ज़ोर लगा के निकाल रहा था मुझे काफ़ी ज्यदा दर्द होने लगा मे शेरू को रोक रही थी पर उसने लॅंड एक झटके मे
बाहर निकाला तो मेरी चूत फट गयी ओर खून निकालने लग गया मुझे काफ़ी ज्यदा दर्द हो रहा था मेरी चूत शेरू की च्छुदाई से काफ़ी ज्यदा सूज गई थी मैने भाग के बातरूम मे गयी ओर मूत मरके सारा सीमेन शेरू का निकल दिया ओर
आंतीबोइतिक से चूत को सॉफ काइया की कोई इन्फेक्षन ना हो ...अब मे ओर शेरू जब भी अकेले होते हे मे उसे अपनी चूत सफ़फ़ करवाती हू ओर चुड़वति भी ....